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वैदिक पंचांग - 16 जून 2022

 


ll🌞 ~ वैदिक पंचांग ~  🌞ll

🌤️  दिनांक - 16 जून 2022

🌤️ दिन - गुरुवार

🌤️ विक्रम संवत - 2079

🌤️ शक संवत -1944

🌤️ अयन - उत्तरायण

🌤️ ऋतु - ग्रीष्म ऋतु 

🌤️ मास -आषाढ़

🌤️ पक्ष - कृष्ण 

🌤️ तिथि - द्वितीया सुबह 09:44 तक तत्पश्चात तृतीया 

🌤️ नक्षत्र - पूर्वाषाढा रात्रि 12:37 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा

🌤️ योग - ब्रह्म रात्रि 09:09 तक  तत्पश्चात इंद्र

🌤️  राहुकाल - दोपहर 02:20 से शाम 04:01 तक

🌞 सूर्योदय - 05:28

🌦️ सूर्यास्त - 06:26

👉  दिशाशूल - दक्षिण  दिशा में

🚩 व्रत पर्व विवरण -  विद्यालाभ योग (गुज॰-महा॰, छोड़कर भारत भर में)

🔥 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा  बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

     

🌷 विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए 🌷

👉 17 जून 2022 शुक्रवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 10:40)  

🙏🏻 शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :

🌷 ॐ गं गणपते नमः ।

🌷 ॐ सोमाय नमः ।


‪🌷 चतुर्थी‬ तिथि विशेष 🌷

🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।

📆 हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं। 

🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।

🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥

➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।

         

🌷 कोई कष्ट हो तो 🌷

🙏🏻 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |

👉🏻 छः मंत्र इस प्रकार हैं –

🌷 ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।

🌷 ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।

🌷 ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।

🌷 ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और  जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।

🌷 ॐ अविघ्नाय नम:

🌷 ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: 


           🌞 ~  पंचांग ~ 🌞

🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🙏🏻

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